बह्र-ए-मीर

बह्र-ए-मीर या मात्रिक बह्र : 

कई लोगों को बह्र-ए-मीर को समझने में ख़ासी दिक़्क़त आती है जबकि इस बह्र को समझना काफ़ी आसान है । 

मैं अपने हिसाब से इस बह्र को समझाने की कोशिश कर रहा हूँ शायद कुछ लोगों को मदद मिल सके ।

जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है यह एक मात्रिक बह्र है इसीलिए इस बह्र में एक शे'र के दोनों मिसरों (पंक्तियों) में मात्राओं की गणना बराबर होती है इसके अलावा हम जानते हैं कि छोटी मात्रा का वज़्न (1) और बड़ी मात्रा का वज़्न (2) लिया जाता है इसके अलावा मात्रा गिराने के नियम भी मान्य हैं ब-शर्त-ए-कि लय भंग न होने पाए । अब बह्र-ए-मीर में हमें यह सुनिश्चित करना है कि शे'र के दोनों मिसरों में मात्राओं की गणना एक बराबर हो यह हमारी पहली शर्त है इसके अलावा यह भी सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि दोनों मिसरों में मात्राओं की सजावट कुछ इस तरह हो कि दोनों मिसरों की लय एक समान बन पाए ,अगरचे अरूज़ की बाक़ी प्रचलित बहरों की तरह इस बह्र में यह बिल्कुल ज़रूरी नहीं कि एक शे'र के दोनों मिसरों में एक जैसे अरकान हों । 

उदाहरण के लिए मीर तक़ी मीर का यह प्रचलित शे'र देखें : 


पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है

जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है


पत्ता/पत्ता/बूटा/बूटा/हाल ह/मारा/जाने/है

जाने न/ जाने/ गुल ही न/ जाने/ बाग़ तो/ सारा/ जाने/ है


22 22 22 22 211 22 22 2

211 22 211 22 211 22 22 2


इस शे'र में यह स्पष्ट है कि दोनों मिसरों में अरकान अलग हैं इसके बावजूद हमें एक बेहतरीन लय मिल पा रही है , इसकी वजह यह है कि दोनों मिसरों में मात्राओं की गणना एक बराबर है और सजावट कुछ इस तरह है कि हमें एक मुनासिब लय मिल पा रही है , अब इसके पीछे कोई नियम नहीं है कि आख़िर यह सजावट किस तरह की हो , हमें कहन के अनुसार यह लय हासिल करनी होती है मगर यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि शे'र के दोनों मिसरों में मात्रा की गणना एक बराबर हो , ज़्यादातर Cases में बराबर मात्रा गणना निभा देने से एक मुनासिब लय मिल जाती है या एक मुनासिब लय में मिसरे कह देने से वो ख़ुद-ब-ख़ुद मात्रा गणना में एक समान हो जाते हैं ।

अब एक ज़रूरी बात और ध्यान देनी है कि बह्र-ए-मीर में मात्रा गणना मात्रा भार (2) के गुणकों में होती है यानी कोई मात्रा वज़्न (1) का अकेला नहीं रह सकता, मात्राओं की सजावट ऐसे होनी चाहिए कि अगर कोई एक वज़्न (1) की मात्रा मिसरे में है तो कोई और एक वज़नी मात्रा ज़रूर मौजूद हो जो उससे मिलकर उसे (11) यानी 2 मात्रा भार का गुणक बना दे , इस प्रकार से बह्र-ए-मीर के मिसरों में मात्राओं की सजावट कुछ ऐसे होनी चाहिए कि वो मात्रा भार ( 2 ) के गुणक हों , जैसे ऊपर के शे'र की मात्रा गणना है 2×15 ,यानी इस शे'र की बह्र है (2×15) बह्र-ए-मीर ,इसी तरह से जायज़ उदाहरण हो सकते हैं , 2×4 ,2×8 , 2×11 आदि , साथ ही साथ यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि दोनों मिसरों में मात्राओं की गणना एक बराबर हो अगरचे दोनों मिसरों में एक समान अरकान होना ज़रूरी नहीं । 


उदाहरण के लिए एक मेरी ही कही ग़ज़ल में मात्राओं की गणना को समझें : 

बह्र-ए-मीर ( 2×8 )


मैं /ऊला/ हूँ /तुम/ सानी/ हो

मैं /जीवन /तो /तुम /पानी/ हो

2 /22/ 2 /2 /22/ 2

2 /22/ 2 /2 /22/ 2

میں اُولا ہوں تم ثانی ہو

میں جیون ٹو تم پانی ہو

सब /कहते /हैं /तुम /चली ग/ई

दिल/ धड़क र/हा /तुम /यानी/ हो

2/ 22/ 2/ 2/ 121/ 2

2/ 121/2 /2 /22/ 2

سب کہتے ہیں تم چکی گئی

دل دھڑک رہا تم یعنی ہو

दिल /कहता/ है /धड़कन/ हो/ तुम

और /ज़हन क/हे /अनजानी/ हो

2/ 22/ 2/ 22/ 2/ 2

2/ 21 1/2 /222/ 2

دل کہتا ہے دھڑکن ہو تم

اور ذہن کہے انجانی ہو

मैं/ अमर र/हूँगा/ मर /के /भी

जानाँ /तुम /मिरी क/हानी/ हो

2/ 12 1/22/ 2/ 2 /2

22/ 2/ 12 1/22/ 2

میں عمر رہونگا مر کے بھی

جاناں تم میری کہانی ہے

ये/ बात न/हीं /सच्चाई/ है

तुम /मेरे /दिल /की/ रानी/ हो

2/ 21 1/2 /222/ 2

2/ 22 / 2 / 2 /22 /2

یہ بات نہیں سچّائی ہے

تم میرے دل کی رانی ہو

इस /तौर से /जन्नत/ लिख/ देना

इक /शे'र में/ गर/ बतलानी/ हो

2/ 21 1/ 22/ 2 /22

2/ 21 1/ 2 /222/ 2

اس طور سے جنّت لکھ دینا 

اِک شیر میں گر بطلانی ہو

मैं/ ऊला/ पाकिस्तानी/ हूँ

तुम /सानी /हिन्दुस्तानी/ हो

2/ 22/ 2222/ 2

2/ 22/ 2222/ 2

میں اُولا پاکستانی ہوں

تم ثانی ہندستانی ہو


― नज़र نظر


ऊला - First Line of a She'r

सानी - Second Line of a She'r

ज़हन - Brain

इस ग़ज़ल में आप देखेंगे कि कई शेरों के दोनों मिसरों में एक जैसे अरकान नहीं हैं क्योंकि ऐसा होना अरूज़ के बाक़ी बहरों के विपरीत इस बह्र की शर्त नहीं ,अगरचे आप देखेंगे कि हर एक मिसरे में मात्राओं की गणना एक समान है और वे मात्रा भार (2) के गुणक हैं इसके अलावा वे इस तरह से सजे हैं कि एक मुनासिब लय मिल पा रही है ।


उम्मीद करता हूँ कि आपको इससे बह्र-ए-मीर को समझने में कुछ मदद मिल पाए । 


अपना ख़याल रखें , ख़ुश रहें ❤️🎉


― Kunal Rajput 'नज़र'




Comments

Ramesh Chandra said…
दोस्त जैसे २२ की जगह २११ या १२१ करने की छूट है प्लीज़ मुझे ये बताने की कृपा करे कि क्या २२ की जगह पे ११२ भी किया जा सकता है कि नहीं।
Sanjay said…
Nahi kiya ja sakta... ye misra ghalat hain... short sylalble kabhi bhi akele nahi aayega... hamesha pair main aayega