इज़हार (नज़्म)

चढ़ा है ये मुझपर किसी आश्ना का ख़ुमार ये कैसा ,
मैं कहना भी चाहूँ पर कह भी ना पाऊँ मगर कह रहा हूँ ,
तू ही ज़ुस्तज़ू है ,तू ही आरज़ू है ,
सुकूँ में भी तू ही, जुनूँ में भी तू ही ,
अक़ीदत तू ही है ,इबादत तू ही है ,
दिल मे तुम ही हो ,ज़बाँ पे तुम ही हो ,
राहत भी तुम ही , चाहत भी तुम ही ,
यादों में तुम ही , बातों में तुम ही ,
सांसों में तुम ही , ख़्वाबों में तुम ही ,
दुआ भी तुम ही हो , दवा भी तुम ही हो ,
हसी भी तुम ही हो , खुशी भी तुम ही हो ,
छिपाता भी हूँ मैं ,जताता भी हूँ मैं ,
मगर दिल मे है जो ,बताता नही मैं ,
मगर आज खुल के दिल ओ जाँ से अपने लो कहता हूँ यारा ,
तुम हूर ए 'नज़र' हो ऐ जान ए तमन्ना मुझे दिल ओ जाँ से ...
मोहब्बत है तुमसे ,मोहब्बत है तुमसे , मोहब्बत है तुमसे ।

— नज़र

आश्ना - One who is devoted to love (Female)
अक़ीदत - Faith
हूर ए 'नज़र' - Nazar's Angel

*Completely Fictious


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